विषय : विशिष्ट आवश्कता वाले बाचो की शिक्षा
विषयांग : प्रतिभाशाली बालक
उपयुक्त पुस्कत डॉ का अंजलि शर्मा ने लिखी हैं , जिसमे प्रतिभाशाली बालकों की चर्चा किया किये हिया जिसकी चर्चा निम्नलिखत की हैं | में पाण्डेय स्वस्तिका पाण्डेय सूर्यप्रकाश में इस अंजलि शमा के पुस्तक से सहमत हुँ |
प्रस्तावना : विशिष्ट बालक की आम आवधारना यह हैं की वह सामान्य होते हुए भी प्रय : असामान्य
गुणों से युक्त होता हैं व्यक्तित विभिन्नता ही विशिता का आधार हैं |
मनोवैज्ञानिक ने यह अनुभव किया हैं की कोई भी दो बालक एक दुसरो से भिन्न होते हैं उनमे समानता के साथ -साथ कुछ भिन्नता भी होती हैं , जो उनने बालकों से अलग करती हैं एक बालक शारीरिक रूप से समान होने पर भी मानसिक रूप शैक्षिक आधार पर भिन्न हो सकता हैं |
विशिस्ट बालकों के प्रकार
(१) प्रतिभाशाली बालको
(२) धीमी गाती से सिखने वाले बालक
(३) शैक्षिक रूप से पिछाड या कमजोर बालक
(४) आंशिक शारीरिक अक्षम
(५) अवचित वर्गों के बालक
(६) समस्यात्मक बालक
१. प्रतिभाशाली बालक
परिचय : एसे बालक आपनी आयु के बालको से भिन्न प्रकार से बुद्धिमान व श्रेष्ट होते हैं विलक्षण अथवा प्रतिभाशाली बालक अपने उच्च गुणों वाली योग्यता , प्रतिभा , बुध्धि तथा नीपूणता आदि दीखते हैं एेसे बालक कार्य करने में भी नीपूण होते हैं अर्थात् ये सुजनात्मक होते हैं तथा कार्य के प्रति जागरूक होते हैं एेेसे बालकों में उच्च स्तरीय अभिप्रेण होता हैं तथा इनमे कार्य पूरा होने से पहले उसके परिणाम की कल्पना करने की क्षमता होती हैं |इस प्रकार व्यकित बालको के लिए भिन्न शब्द प्रयुक्त किये जाते हैं - जेसे प्रतिभाशाली बालक , सुजनात्मक बालक , प्रतिभावन बालक और अकाल प्रोढता अर्थात समय से पहले परिप्क्क्वत आदि | कुछ विशेष क्षेत्र में जेसे - भाषा , संगीत , गाणित आदि में एेसे बालक विशिष्ट रूप से समय से पहले ही दक्षता ग्रहण कर लेते हैं , जो सामान्य उनकी आयु के अन्य बालक नही कर पाते |
प्रतिभाशाली बालकों की परिभाषा
प्र्तिभाशाली बालक , सामान्य बालकों से सभी बातों में श्रेष्ठ होता हैं ये बालक सम्पुणॅ राष्ट्र हेतु अमूल्य निधि कहलाते हैं ये बालक उच्च बुधिवाले के होते हैं इनकी बुधिल्म्ब्धि सामान्यत : १२० से उच्च होते हैं | ये बालक साधारण बालकों से बहुत योग्य होते हैं , जो कार्य इन्हें प्रदान किया जाता हैं , जो उन्हे शिरग पूणॅ कर लेते हैं ये बालक साधारण बालकों के साथ शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं तता उनकी कक्षा में अरुचि महसूस करते हैं |
स्क्रिनर एवं हैरीमन के अनुसार , " प्रतिभाशाली शब्द का प्रयोग उन एक (१) प्रतिशत बालकों के लिए किया जाता हैं , जो सबसे अधिक बुध्धिमन होते हैं "
टरमन व ओडन के अनुसार, " प्रतिभाशाली बालको - शारीरिक गठन , सामाजिक समायोजन , व्यक्तित्व के लक्षणो , विधालय उपलब्धि , खेल की सूचिनायो और रुचियों की बहुरूपता में सामान्य बालकों से बहुत श्रेष्ठ होते हैं "
क्रो व क्रो के अनुसार " प्रतिभाशाली बालक दो प्रकार के होते हैं ( १) वे बालक जिनकी बुध्धि -लब्धि १३० से अधिक होती हैं और जो असाधारण बुधि वाले होते हैं
(२) वे बालक जो कला , गाणित , संगीत , अभिनय आदि में एक या अधिक में विशेष योग्यता रखते हैं |
प्रतिभाशाली बालको का लक्षण :-
(१) शारीरिक :-
v प्रतिभाशाली
बालको का शारीरिक विकास तीव्र गति से होता हैं |
v ये प्राय: उतम
शारीरिकी (physique) वाले होते हैं |
v सामान्य बालकों
से भार , उचाई व शक्ति में अधिक होते हैं |
v जल्दी चलना व
बोलना सिख जाते हैं |
v इनमे ज्ञानेद्रिय
विकास भी उतम एवं शिघ्र होता हैं |
v किशोरावस्था के
लक्षण शिघ्र उत्पन्न हो जाते हैं|
(२) मानसिक व बौधिक् :-
v व्यवस्था ,
विश्लेषण,स्मरण ,संश्लेषण,एवं तर्क की विशेष योग्यता,
v सिखने एवं समझने
(comprechension) की असाधारण गति ,
v स्पष्ट आत्म अभिव्यकित,
v अमूतॅ तथ्यों को
समझने की क्षमता ,
v विशाल शब्द कोष
एवं वाक् पटुता ,
v उच्च श्रेणी की
सामान्य बुधि एवं सामान्य ज्ञ्यान
v तीव्र कल्पना
शक्ति ,
v मौलिक चिन्तन एवं
नवीनता के प्रति उत्सुकता ,
v सटीक निरीक्षण
शक्ति ,
v अवधान केन्दित
करने की व्यापक क्षमता
(३) शैक्षिक (Educational Characteristics):-
v
विधालय में नियमित
उपस्थिति,
v
सदैव गृह –कार्य करना ,
v
पाठ को पूर्व में तैयार करके आना ,
v
पाठ्यक्रम के आतिरिक्त सहायक पुस्तकों को पढने
में रूचि ,
v
समाचार पत्र , पत्रिक आदि को पढने में रूचि ,
v
अध्ययन में अपनी धुन का पक्का ,
v
कक्षा में सर्वाधिक अंक पाना ,
v
अन्य प्रतिभाशाली बालकों से स्पर्धा रखना ,
v
सामान्य बालकों की अपेक्षा कम परिश्रम करके भी
अच्छा अंक पाना|
(४) व्यकितत्व
सम्बन्धित ( personality
characteristics):-
v समायोजन की
श्रेष्ठ क्षमता
v योजना –निमार्ण
की उतम क्षमता ,
v प्रभावशाली
व्यक्तित्व ,
v उतम चरित
v उपलब्धी उन्मत ,
v वाद –विवाद में
भाग लेना ,
v शिघ्र निणॅय लेने
की क्षमता ,
v जोखिम के कार्य
करने लालसा ,
v प्रश्न पुछाने
में निपुण ,
v रचनात्मक प्रवती
रखना,
v स्वतंत्र
विचारधारा
(५) सामाजिक ( Social characteristics):-
v सामाजिकता का गुण कम,
v नेतुत्व की विशेष योग्यता,
v दूसरों का सम्मान करना,
v अनुशासन मानना,
v लोकप्रिय व्यक्तित्व ,
v विन्रम एवं आज्ञाकारी
(६) नकारत्मक (Negative characteristics):-
v कभी कभी अधीरता
तथा ध्यान न केन्द्रित होना
v कभी कभी समूह से
पृथक एकाकी रहना ,
v पाठक्रम की अपनी
योग्यता के अनुपात में सरल समझने के कारण आलस्य
प्रदर्शित करना
,
v स्व-पूणॅ (egoistic) व्यवहार करना ,
v लापवाह एवं
दोषपूणॅ लेखनी ,
v कभी-कभी आवश्यकता
से अधिक बोलना
निष्कर्ष : - प्रत्येक विधालय में शिक्षा प्र्रप्त करने के लिए सामान्य बालकों के अलावा भी कुछ ऐसे बालक भी हैं जो प्रतिभाशाली हैं \ जो सभी में उचतम होते हैं |
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